Saturday, 15 June 2013

IIMC में असफल हो जाने का ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि एक ग्रेजुएट के मीडियाकर्मी( पत्रकार नहीं) बनने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाती है.

From facebook status of Mr Vineet Kumar, blogger and TV Panelist

IIMC, NEW DELHI की प्रवेश परीक्षा में असफल हो जाने का ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि एक ग्रेजुएट के मीडियाकर्मी( पत्रकार नहीं) बनने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाती है..जिन थोड़े लोगों को पढ़ाया है, मेरे ब्लॉग और एफबी के कारण मुझसे जुड़े हैं, उनकी बात और मिले संदेशों को पढ़कर ऐसा लग रहा है जैसे हज का मतलब मक्का ही होता है.
इसमे कोई दो राय नहीं है कि आइआइएमसी देश के बाकी मीडिया संस्थानों में से एक बेहतरीन संस्थान है लेकिन उसके बेहतरीन होने की वजह सिर्फ पाठ्यक्रम और पढ़ाए जाने के तरीके भर नहीं है. देशभर के मीडिया संस्थाने में उनके पुराने छात्र भरे हैं और उस नेटवर्किंग का वहां से पढ़कर निकलनेवाले छात्रों को लाभ मिलता है. छात्र और शिक्षक मिलकर इसके लिए काम करते हैं और संस्थान को लेकर आपसी समझदारी के तहत सहयोग भी होता है.
लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि जो बच्चे वहां तक पहुंचने में असफल हो जाते हैं, वो मीडिया में काम करने लायक ही नहीं है, मीडियाकर्मी बन ही नहीं सकते. पता नहीं वो किन कारणों से ऐसी कुंठा के साथ ऐसा सोचते हैं. मौजूदा दौर में तो मीडियाकर्मी होने के लिए मेरी अपनी समझ है कि पत्रकारिता के कोर्स को मीडिया उद्य़ोग में घुसने के लिए एक एन्ट्री पास की तरह लेना चाहिए, कहीं से भी कोर्स कर लें..बस नेटवर्किंग तगड़ी रखें..अब कोई मीडियाकर्मी न बनकर पत्रकार बनना चाहते हैं तो उनके लिए तो वही करें तो भारतेन्दु से लेकर अभी के पी.साईंनाथ जैसे लोग करते आए हैं. जमकर समाज विज्ञान,राजनीतिशास्त्र, पर्यावरण,अर्थशास्त्र,प्रबंधन,साहित्य, देश-दुनिया से जुड़े मसलों पर जमकर पढ़ें, लिखें..अपने को पूरी तरह इस काम में झोंक दें..थोड़ा घिसना पड़ता है लेकिन भीतर से इतना यकीन पैदा होता है कि वहां से न पढ़ने की कसक आसपास फटकती नहीं.

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